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पन्ना, बुध ग्रह का रत्न है। यह बहुत चमकदार होता है। इसकी चमक के बारे में प्राचीनकाल में ऐसा कहा जाता था कि शुद्ध पन्ना सूर्य के प्रकाश में भी अपनी आभा बिखेरता नज़र आता है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर कम्प्यूटर पर काम करते हुए या पढ़ते हुए आंख थक जाए तो पन्ना रत्न को आंखों पर रखने से वह तरोताजा हो जाती हैं। इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि पन्ना चार हज़ार साल पहले से भी लोगों के बीच लोकप्रिय रहा है।
पन्ना रत्न का सबसे बड़ा गुण होता है कि यह सूर्य के समान खुद प्रकाशित होने की क्षमता रखता है। इसको देखने पर ऐसा लगता है कि यह अपने चारों ओर प्रकाश पुंज से एक आभा बनाता है। यह चमकदार, पारदर्शक, भारी तथा लचीला रत्न है।
बुधवार को चांदी की अंगूठी में पन्ना रत्न को धारण किया जाता है। कुछ लोग इसे सोने में भी पहनते हैं लेकिन चांदी में धारण करना ज्यादा लाभ देता है। पन्ना कम से कम तीन रत्ती पहनना चाहिए। इसे खरीदकर विधिपूर्वक मंत्र और पूजा पाठ से जागृत किया जाता है। बुध रत्न को धारण करने से पहले ‘ऊं बुं बुधाय नम:’ मंत्र को 9000 बार जप करते हैं। इसे दाएं हाथ की छोटी अंगुली में पहनते हैं।
पन्ना कीमती रत्न है और इसे पहनना सबके बस की बात नहीं है इसलिए इसके स्थान परएक्वामेरीन, हरे रंग का जिरकॉन, फिरोजा या पेरीडॉट धारण किया जाता है। पन्ना रत्न के स्थान पर हरे रंग का अकीक भी पहना जा सकता है।
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