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नीले रंग का चमकदार रत्न नीलम शनि का रत्न है। कुंडली में शनि के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए नीलम रत्न धारण किया जाता है। नीलम रत्न के बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि इसे कोई भी धारण नहीं कर सकता। कुंडली में शनि के कुछ निश्चित स्थान में होने पर ही नीलम रत्न पहनने से फायदा होता है। आज हम आपको बताते हैं कि कुंडली के किस योग में शनि के होने पर नीलम रत्न पहनना चाहिए और किस योग में शनि के होने पर नीलम रत्न पहनना आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
– मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है।
– चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए।
– शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या स्वयं ही छठे और आठवें भाव में हो तो भी नीलम रत्न ( Blue Sapphire ) धारण करना चाहिए।
– शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है। इनमें से दोनों राशियां अगर शुभ भावों में बैठी हों तो नीलम धारण करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में से कोई भी राशि अशुभ भाव में हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए।
– शनि की साढेसाती में नीलम धारण करना लाभ देता है।
– शनि की दशा अंतरदशा में भी नीलम धारण करना लाभदायक होता है।
– शनि की सूर्य से युति हो, वह सूर्य की राशि में हो या उससे दृष्ट हो तो भी नीलम पहनना चाहिए।
– कुंडली में शनि मेष राशि में स्थित हो तो भी नीलम पहनना चाहिए।
– कुंडली में शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल अथवा नीच का हो तो भी नीलम धारण करके लाभ होता है।
– जिसकी कुंडली में शनि प्रमुख हो और प्रमुख स्थान में हो उन्हें भी नीलम धारण करना चाहिए।
– क्रूर काम करने वालों के लिए नीलम हमेशा उपयोगी होता है।
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